सदूगति सेवा संस्थान की पहल-
मृत्यु के बाद पुरातन बाई की आंखो से मिलेगी दो लोगों को रोशनी, देहदान से मेडिकल स्टूडेंट्स को मदद
भोजपुर निवासी महिला पुरातन बाई साहू (76 वश) की दिनांक 02 अक्टूबर 2024 को रात्रिलगभग 9.30 बजे मौत हो गई। मृत्यु के तत्काल बाद मृत भारीर व नेत्र का दान के लिए बेटे पुरूशोत्तम लालसाहू ने डॉ. अनिल कुमार जगत, सिविल सर्जन सह मुख्य अस्पताल अधीक्षक जिला चिकित्सालय जांजगीर जानकारी दी गई, डॉ. जगत द्वारा छ.ग. आयुर्विज्ञान संस्थान (सिम्स) बिलासपुर से चर्चा के बाद डॉ. अखिल गर्ग,डॉ. संजय चौधरी, एवं धर्मेन्द्र देवांगन सहित मेडिकल टीम सिम्स द्वारा रात्रि 12.00 बजे घर पहुंच कर नेत्रदान की प्रक्रिया पूर्ण की गई। देहदान के लिए सुबह परिजनों द्वारा डॉ. स्वाति वंदना सिसोदिया मुख्य चिकित्सा एवंस्वास्थ्य अधिकारी, जिला- जांजगीर चांपा एवं डॉ. अनिल कुमार जगत सिविल सर्जन के सहयोग से पुरातन बाईसाहू के मृत भारीर को छ.ग. आयुर्वेज्ञान संस्थान (सिम्स) बिलासपुर दिनांक 03 अक्टूबर 2024 दोपहर बाद 03.00बजे सौंपा गया। इसके पूर्व उनके अंतिम यात्रा सदगति सेवा संस्थान द्वारा सम्मान पूर्व गाजे-बाजे के साथ उनके निवास भोजपुर से बरपाली चौक होते हुए मुख्यमार्ग से भाम न घाट गेमनपूल तक लाने के बाद बिलासपुर रवाना की गई। अंगदान एवं देहदान हेतु जीवनकाल में ही घोशणा की गई थी, जिसे विधिवत् भारत सरकार के वेबसाईट में पंजीयन किया गया था ।
उल्लेखनीय है कि देहदान एवं नेत्रदान करने वाली पुरातन बाई साहू संस्थान के अध्यक्ष के माताजी है, उन्होंने अपने विचार प्रकट करते हुए कहा कि अंगदान एवं देहदान एक महान पुण्य कार्य है, मुझे गर्व है कि हमारे पूरे परिवार, परिजनों द्वारा इसकी घोशणा की गई है, हम सौभाग्य वाले है कि आज मां की मृत्यु के बाद भी उनके आंखें किन्हीं दो व्यक्तियों के आखों में रोसनी बनकर जिंदा रहेगी, मृत्यु के बाद भी जीवन का सुअवसर है। सामाजिक हित में हम सभी को अंगदान / देहदान के लिए आगे आकर अनमोल देह का सद्पयोग करते हुए लोगों को दूसरे की जीवन में आनंद भरें । संस्थान द्वारा अभी तक लगभग 75 व्यक्तियों का घोशणा पत्र प्राप्त कर विधिवत् भारत सरकार के वेबसाईट में पंजीयन किया गया एवं कई लोगों द्वारा अंगदान / देहदान किये जाने की सहमति प्रदान की गई है।
संस्थान के अध्यक्ष द्वारा बताया गया कि संस्थान सामाजिक हित में अंगदान/ देहदान, स्वस्थ्य एवंआनंदित जीवन भौली के लिए प्रेरित किये जाने तथा पर्यवरण संरक्षण के हेतु जन-जागरूकता लाने समर्पित है।इस कार्य में अध्यक्ष पूरूशोत्तम लाल साह, उपाध्यक्ष बिरिधीचंद करियारे, भोलादास भारद्वाज, उपकोशाध्यक्ष कृश्णकुमार कौ कि, सहसचिव प्रदीप सराफ एवं भरत लाल देवांगन, कार्यकारिणी सदस्य मोहन लाल साहू एवं सेवकदास साह, सदस्य चन्द्रकांत देवांगन एवं डॉ. खु बू साह का सहयोग रहा।