मोर गांव मोर पानी अभियान के तहत जिले में बड़े पैमाने पर जनभागीदारी से बनाए जा रहे सोखता गड्ढे

मोर गांव मोर पानी अभियान के तहत जिले में बड़े पैमाने पर जनभागीदारी से बनाए जा रहे सोखता गड्ढे

जल स्रोतों के पास हो रहे निर्माण से भूजल स्तर को मिल रहा बढ़ावा

 

 

जांजगीर-चांपा, 30 जून 2025/ कलेक्टर श्री जन्मेजय महोबे के निर्देशन एवं जिला पंचायत सीईओ श्री गोकुल रावटे के मार्गदर्शन में जिले की सभी जनपद पंचायतों के ग्राम पंचायतों में मोर गांव मोर पानी अभियान के तहत जल संरक्षण एवं संवर्धन को लेकर सोखता गड्ढों का निर्माण किया जा रहा है। यह कार्य केवल संरचनात्मक निर्माण नहीं, बल्कि स्थायी भूजल संवर्धन की दिशा में ठोस प्रयास बनकर उभर रहा है। विशेष रूप से ग्रामों के हैंडपंपों एवं अन्य जल स्रोतों के समीप गड्ढे जनभागीदारी से बनाए जा रहे हैं, ताकि वहां से निकलने वाला अतिरिक्त एवं बेवजह बहने वाला पानी भूमि में समाहित होकर भूजल के रूप में संरक्षित हो सके। इससे पानी की बर्बादी रुक रही है और भूजल स्तर में भी सुधार की संभावना बन रही है।
दिनोदिन घट रहे भूजल स्तर को देखते हुए गांव की जल समस्या का समाधान गांव की ही ताकत से संभव है। यह प्रयास स्वावलंबी जल संरक्षण की दिशा में मील का पत्थर है। इसके लिए जरूरी है कि जनभागीदारी से ही इस अभियान को सफल बनाया जाए। जिला पंचायत सीईओ ने कहा कि अगर हर ग्रामीण जनभागीदारी के माध्यम से एक-एक गड्ढा भी बनवाने में सहयोग करे, तो आने वाले वर्षों में हम जल संकट से मुक्त हो सकते हैं। इस अभियान से सिर्फ जल बचत नहीं हो रही, बल्कि यह सामाजिक चेतना, भागीदारी और प्राकृतिक संसाधनों के प्रति जिम्मेदारी की भी मिसाल बन रही है। ग्राम पंचायतों के सरपंच, सचिव, रोजगार सहायक, विभिन्न विभागों के मैदानी कर्मचारी एवं बिहान योजना से जुड़ी ग्राम स्तरीय महिला संगठन की सदस्याएं बड़ी संख्या में सहभागिता निभा रही है। इसके लिए कार्यक्रम अधिकारी, तकनीकी सहायक ने ग्राम पंचायत स्तर पर जल स्रोतों की पहचान, उनका पुनरुद्धार, संरक्षण एवं वर्षा जल संग्रहण के उपायों की पहचान कर उनके बारे में ग्रामीणों को जानकारी देकर उन्हें सक्रिय भूमिका के लिए प्रेरित किया है। इसके साथ ही नाला, तालाब, कुएं, बोरवेल आदि जल संरचनाओं की जनभागीदारी से सफाई एवं गहरीकरण करते हुए उन्हें और अधिक उपयोगी बनाया जा रहा है। मनरेगा एवं जल जीवन मिशन योजनाओं से जल संरक्षण कार्यों का समन्वय स्थापित करने पर जोर दिया गया। इसके साथ ही जनभागीदारी को जोड़ने के लिए जल शपथ, रैली, दीवार लेखन और पौधारोपण गतिविधियों का आयोजन किया जा रहा है।

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