mp quota scrapped for admission in kendriya vidyalaya | अब सांसद की पैरवी पर केंद्रीय विद्यालय में बच्चों का एडमिशन नहीं करा सकेंगे, 47 साल पुराना नियम बदल रही मोदी सरकार

शैक्षणिक सत्र 2022-23 में नामांकन के लिए जारी हुई नई गाइडलाइन के अनुसार सांसद, शिक्षा विभाग के कर्मचारी, केंद्रीय विद्यालय में कार्यरत अथवा रिटायर हो चुके कर्मियों के बच्चे के लिए विशेष प्रावधान हटा दिया गया है. इसके साथ-साथ स्कूल प्रबंधन समिति के अध्यक्ष के विवेकाधीन कोटे को भी खत्म कर दिया गया है. बताते चले कि केंद्रीय विद्यालय में नामांकन के लिए 1975 में सांसदों की सिफारिश की योजना शुरू हुई थी. इस योजना के तहत लोकसभा के 543 और राज्यसभा के 245 सांसदों की सिफारिश पर हर साल 7880 बच्चों का नामांकन देश के अलग-अलग केंद्रीय विद्यालयों में होता था.

सांसद अपने क्षेत्र के रहने वाले अभिभावकों के बच्चों के लिए पैरवी करते थे. सत्र की शुरुआत में ही सांसद केवी में नामांकन के लिए कक्षा एक से लेकर कक्षा 10 तक के लिए 10 छात्रों की पैरवी कर सकते थे. लागू होने के बाद इस नियम को दो बार रोका भी गया था. लेकिन अब इसे पूर्णरुपेण बंद किया जा चुका है. विभागीय जानकारी के अनुसार 2018-19 में निर्धारित कोटे से अधिक 8164 बच्चों का दाखिला लिया गया था. 2019-20 में 941, 2020-21 में 12295 तो 2021-22 में 7301 छात्र-छात्राओं का सांसद के कोटे से केंद्रीय विद्यालय में नामांकन हुआ था.

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