क्या है शवों के साथ रहने का मनोविज्ञान ? कभी पति रहा पत्नी के साथ तो कभी डॉक्टर ने चुराई मरीज़ की लाश!

पति-पत्नी का रिश्ता इतना गहरा (Immortal Love Story) होता है कि एक के जाने का गम दूसरे के लिए बर्दाश्त करना मुश्किल हो जाता है. 72 साल के एक बुजुर्ग के साथ भी ऐसा ही हुआ. 21 साल पहले उनकी पत्नी मौत हुई थी, लेकिन वे उससे अलग नहीं होना चाहते थे. यही वजह रही कि वो इतने सालों तक अपने पत्नी के शव (Husband Lived 21 Years With Wife’s Dead Body) को घर में ही दफनाकर उनके साथ रहते रहे.

थाईलैंड (Thailand News) के बैंकॉक में रहने वाले 72 साल के बुजुर्ग चार्न जैनवाचाकल की कहानी जब वायरल हुई, तो सोशल मीडिया (Viral On Social Media) पर लोगों की आंखें नम हो गईं. कुछ लोगों ने उनके प्यार को अमर कहा तो कुछ लोगों ने उस शख्स को अंतहीन प्यार करने वाला बताया.

कभी पत्नी के साथ रहा पति, तो कभी डॉक्टर मरीज़ के साथ !

मिरर की रिपोर्ट के मुताबिक चार्न (Charn Janwatchakal) ने अपनी पत्नी के मृत शरीर को घर के अंदर की एक वन फ्लोर के कंक्रीट हाउस में रखा हुआ है. शव एक कॉफिन के अंदर था. वे इसी घर में सोते थे और अपनी पत्नी के शव से बातें करते थे. द स्ट्रेट टाइम्स के मुताबिक वे इस घर में बिना बिजली के काफी खराब हालत में रहते थे, जबकि पानी वे पड़ोसियों से ले लेते थे. चार्न ने अपने लिए पत्नी को भले ही ज़िंदा माना हो, लेकिन उनका डेथ सर्टिफिकेट बनवा रखा था. ऐसे में उन पर कोई कानूनी चार्ज नहीं लगा. उनकी पत्नी की मौत साल 2001 में बीमारी की वजह से हुई थी. वैसे ऐसा पहली बार नहीं हुआ है, इससे पहले फ्लोरिडा में एक डॉक्टर ने 1933 में अपनी एक मरीज़ के शव को उसके ताबूत से निकालकर अपने घर में रख लिया था. डॉक्टर को टीबी की उस मरीज़ को न बचा पाने का दुख था और उससे उन्हें लगाव हो गया था. आखिरकार 1940 में शव उनके घर से बरामद करके गुमनाम जगह पर दफनाया गया.

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चार्न (Charn Janwatchakal) ने अपनी पत्नी के मृत शरीर को घर के अंदर की एक वन फ्लोर के कंक्रीट हाउस में रखा हुआ था. (Credit- Facebook)

शवों के साथ रहने का मनोविज्ञान 

आखिर लोग शवों के साथ रहते क्यों हैं ? इस सवाल पर कुछ स्टडीज़ हुईं. जूली बेक की रिपोर्ट के मुताबिक इंसानों का मूलभूत पहलू अगर मरे हुए लोगों की चिंता करना है तो इसका दूसरा पहलू मौत का डर भी है. इनवर्स की एक रिपोर्ट के मुताबिक शवों का रहना हमारी आगे बढ़ने की थ्योरी में बाधा है, इसी वजह से इनका अंतिम संस्कार होता है. जो लोग आगे बढ़ने से डरते हैं, वे शवों के साथ रहने की मनोवृत्ति पाल लेते हैं. इंसान का मनोविज्ञान बहुत जटिल है, ऐसे में वो किस घटना को किस तरह ग्रहण करता है, ये अहम बात है.

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