राष्ट्रीय विज्ञान दिवस पर चैतन्य महाविद्यालय में हुआ परिचर्चा का आयोजन

राष्ट्रीय विज्ञान दिवस पर चैतन्य महाविद्यालय में हुआ परिचर्चा का आयोजन

 

पामगढ़ 01 मार्च 2025,

चैतन्य विज्ञान एवं कला महाविद्यालय पामगढ़ में राष्ट्रीय विज्ञान दिवस 2025 के अवसर पर, विज्ञान संकाय एवं संस्थागत नवाचार परिषद (आईआईसी) के संयुक्त तत्वावधान में भारत के लिए विज्ञान और नवाचार में वैश्विक नेतृत्व हेतु भारतीय युवाओं को सशक्त बनाना विषय पर एक परिचर्चा का आयोजन किया। इस कार्यक्रम का उद्देश्य छात्रों और संकाय सदस्यों को राष्ट्रीय विकास के लिए वैज्ञानिक उत्कृष्टता और नवाचार के लिए प्रेरित करना था। परिचर्चा में गुरु घासीदास विश्वविद्यालय में वानिकी विभाग की सहायक प्रोफेसर डॉ. गरिमा तिवारी और बिलासपुर स्थित अटल टिंकरिंग लैब के प्रभारी नवोन्मेषक डॉ. धनंजय पांडे विषय विशेषज्ञ के रूप में उपस्थित रहे। कार्यक्रम की अध्यक्षता संस्थान के प्राचार्य डॉ. वी. के. गुप्ता और संस्थान के निदेशक श्री वीरेंद्र तिवारी ने की। कार्यक्रम के प्रारंभ में आईआईसी के संयोजक डॉ. नरेन्द्रनाथ गुरिया स्वागत उदबोधन में अतिथियों का स्वागत करते हुए कहा कि महाविद्यालय में संस्थागत नवोन्मेष परिषद संचालित है । उल्लेखनीय है कि महाविद्यालय में विद्यार्थियों द्वारा अनेक नवाचारी प्रयास किए गए है जिनके परिणामस्वरूप राष्ट्रीय स्तर पर आईआईसी द्वारा महाविद्यालय को थ्री स्टार रेटिंग प्रदान की गई है। उन्होंने महाविद्यालय में संचालित आईआईसी की गतिविधियों के साथ साथ नवाचार के महत्व को बताते हुए अधिक से अधिक विद्यार्थियों को आई आई सी से जुड़ने के लिए प्रेरित किया। विषय विशेषज्ञ डॉ. गरिमा तिवारी ने सभा को संबोधित करते हुए कहा कि सुबह उठने से लेकर रात्रि मे विश्राम करने जाने तक हमारी दिनचर्या के प्रत्येक पहलु से विज्ञान संबंधित है। उन्होंने वैज्ञानिक प्रगति में युवाओं की भूमिका और वैश्विक नेतृत्व को आगे बढ़ाने की उनकी क्षमता पर जोर दिया गया। उन्होंने राष्ट्रीय विज्ञान दिवस 2025 की थीम वाक्य प्रासंगिकता पर प्रकाश डालते हुए कहा कि इस वर्ष की थीम युवाओं को नवोन्मेष के लिए प्रेरित करने वाला है। डाॅ तिवारी ने पावरपॉइंट के माध्यम से देश प्रदेश के विभिन्न हिस्सों में विद्यार्थिंयों द्वारा किए गए एवं किए जा रहे नवाचारी गतिविधियों के बारे में विस्तार से बताया। उन्होंने विद्यार्थिंयो को नवाचार के लिए प्रेरित करते हुए कहा कि आज युवा नवाचार के माध्यम से रोजगार प्राप्ति के साथ साथ समाज के विकास में अपना योगदान दे सकते हैं। डॉ. धनंजय पांडे ने नवाचार और प्रौद्योगिकी में अपने अनुभव साझा किए। उन्होंने अटल टिंकरिंग लैब पहल के माध्यम से युवा मस्तिष्क को पोषित करने के लिए किए जा रहे प्रयासों के बारे मे विस्तार से बताया। उन्होंने छात्रों को वास्तविक दुनिया की चुनौतियों का समाधान करने के लिए आलोचनात्मक सोच, शोध और नवाचार को अपनाने के लिए प्रोत्साहित किया। उन्होंने युवा नवोन्मेषकों के बीच रचनात्मकता और समस्या-समाधान कौशल को बढ़ावा देने में अटल टिंकरिंग लैब की भूमिका पर भी चर्चा की। कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे संस्था के प्रायार्च डॉ. वी. के. गुप्ता ने कहा कि वैज्ञानिक स्वभाव के महत्व और विज्ञान और प्रौद्योगिकी में युवाओं को पोषित करने के लिए शैक्षणिक संस्थानों की भूमिका अति महत्वपूर्ण है। उन्होंने अपने संबोधन में विशेष रूप से उल्लेख किया कि नैक द्वारा महाविद्यालय को ग्रेड ए प्रदान किए जाने में महाविद्यालय के नवाचारी प्रयासों का उल्लेखनीय योगदान है। उन्होंने विद्यार्थियों से कहा कि वे अपन विचार सादे कागज में लिखकर महाविद्यालय के आई आई सी समन्वयक को भेज सकते हैं। संस्था के संचालक वीरेंद्र तिवारी ने देश की प्रगति के लिए विज्ञान-संचालित नीतियों के महत्व पर अपने विचार रखते हुए छात्रों से अनुसंधान और विकास गतिविधियों में सक्रिय रूप से भाग लेने का आग्रह किया। परिचर्चा में बी एससी द्वितीय वर्ष की छात्रा प्राची एवं छात्र तारण ने भी अपने विचार साझा किए। कार्यक्रम के समन्वयक डॉ ऋषभ देव पाण्डेय ने आयोजन के संबंध में जानकारी देते हुए बताया कि महाविद्यालय में संचालित विश्वविद्यालयीन परीक्षाओं के बाद भी विज्ञान के प्रति रुचि प्रदर्शित करते हुए महाविद्यालय में अध्ययनरत विद्यार्थियों ने बड़ी संख्या में उपस्थित होकर कार्यक्रम में अपनी सक्रिय सहभागित दी है। कार्यक्रम का संचालन जंतु विज्ञान की सहायक प्राध्यापक भगवती साहू एवं धन्यवाद ज्ञापन कम्प्यूटर विज्ञान के सहायक प्राध्यापक धनेश्वर सूर्यवंशी ने किया। कार्यक्रम में तकनीकि सहायता कम्प्यूटर विज्ञान विभाग के सहायक प्राध्यापक साकिम राम यादव एवं कम्प्यूटर विज्ञान के प्रयोगशाल तकनीशियन सरोजमणि बंजारे ने किया। कार्यक्रम में महाविद्यालय के समस्त प्राध्यापकगण सहित बड़ी संख्या में विद्यार्थिगण उपस्थित रहे।

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