



पूना पैक्ट को लेकर राजधानी रायपुर में अनोखा प्रदर्शन, 5 लोगों के गले में पट्टा बांधकर दिखाया समाज की पीड़ा को
भारतीय राजनीति और इतिहास में सबसे बड़ा बदलाव पूना पैक्ट के बाद आया है। भारतीय संविधान के निर्माता डॉ भीमराव अंबेडकर ने बहुत ही निराशा के साथ पुणे पहुंचे थे और पैक्ट पर हस्ताक्षर किए थे। हालांकि इस समझौते के बाद आरक्षित वर्गों का सीट भले ही बढ़ गया हो लेकिन उनकी स्थिति आज भी सुधार नहीं पाई है। समाज में आज भी उन्हें खुले मन से दलित वर्ग को स्वीकार नहीं किया है। आज इस वर्ग के साथ भेदभाव किया जाता है |
छत्तीसगढ़ के सभी जिलो में इसका उदाहरण देखा जा सकता है| इसका बहुत बड़ा कारण समाज से जाने वाले जनप्रतिनिधियों को जाता है। क्योंकि यह जनप्रतिनिधि जाति प्रमाण पत्र के सहारे सदन तक पहुंचते हैं लेकिन बात हमेशा अपनी पार्टी की करते हैं। जिसकी वजह से आज भी आरक्षित वर्ग वही के वही खड़ा है। उनके साथ होने वाले अत्याचारों पर यह जनप्रतिनिधि खामोश हो जाते हैं। जिसके कारण आजादी के इतने सालों बाद भी एक वर्ग को न्याय के लिए आज भी संघर्ष करना पड़ता है। इन संघर्षों में चुने हुए जनप्रतिनिधि भी जो इन्हीं के बीच के होते हैं वह भी इनके साथ नहीं होते।
इसी पीड़ा को छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर के डॉक्टर भीमराव अंबेडकर चौक पर प्रदर्शन करके समाज के युवाओं ने दिखाया है। सामाजिक कार्यकर्ता संजीत बर्मन ने अपने सहयोगियों के साथ मिलकर इस सांकेतिक प्रदर्शन से एक बार फिर पूना पैक्ट में हुए समझौते को याद दिलाते हुए आज की राजनीतिक परिवेश को समाज के बीच रखने का प्रयास किया है। इस दौरान कुछ युवकों ने अपना मुंडन भी कराया है|