शतरंज मेरे जीवन का अभिन्न हिस्सा – हेमन्त खूंटे

शतरंज मेरे जीवन का अभिन्न हिस्सा – हेमन्त खूंटे

3500 से अधिक स्कूली बच्चों को शतरंज का दिया विधिवत प्रशिक्षण

नाइट चेस क्लब के संस्थापक एवं राज्य शतरंज संघ के सचिव हेमंत खुटे से खास चर्चा

 

 

महासमुंद । जिला में क्रिकेट,फुटबाल, वॉलीबॉल ,बैडमिंटन जैसे लोकप्रिय खेलों के बीच शतरंज को प्रतिष्ठित करना एक चुनौती पूर्ण कार्य था ।
मेरे मन में एक दुविधा थी की शतरंज का खेल लोग सहर्ष स्वीकार कर पाएंगे या नहीं।
मेरा बचपन ग्रामीण अंचल में बीता है और मेरी कोशिश रही कि शतरंज को ग्रामीण अंचल में विस्तार दूं और उसे खेल के रूप में बतौर प्रशिक्षक बनकर एक योगदान दूं।
कहते हैं कि दृढ़ संकल्प हो तो मन की सारी दुविधाएं भी समाप्त हो जाती है ।
मेरा विश्वास कायम रहा और उसकी शुरुआत विज्ञान सभा शतरंज क्लब के रूप में 26 अगस्त 1997 को शासकीय उत्तर बुनियादी शाला से हुई ।
मध्य प्रदेश विज्ञान सभा के प्रोत्साहन से मैने इसे विस्तार रूप से कार्य योजना में शामिल किया और स्कूली बच्चों को जोड़कर उनमें शतरंज के प्रति एक रुझान उत्पन्न किया ।
इस बीच वर्ष 2000 में जिला शतरंज संघ महासमुंद की नीव पड़ी और उसके माध्यम से कार्य करने का अवसर प्राप्त हुआ।
आज महासमुंद जिला शतरंज खेल गतिविधियों को लेकर प्रदेश में अपनी एक विशिष्ट पहचान बना चुका है।
28 अक्तूबर 2018 को शतरंज की पाठशाला के नाम से पुनः ट्रेनिंग सेंटर की शुरुआत की गई जिसका मुख्य उद्देश्य स्कूली बच्चों में बौद्धिक विकास के साथ-साथ अंचल में शतरंज का उपयुक्त वातावरण का निर्माण करना था।यह पाठशाला सप्ताह में दो दिन शनि और रविवार को लगती थी जहां स्कूली बच्चे आकार शतरंज का अभ्यास करते थे ।
यह पाठशाला 2 वर्षों तक निरंतर संचालित होती रही किंत इसी दरमियान वर्ष 2020 में कोविड के आने से पाठशाला प्रभावित हुई।
25 अगस्त 2024 को हेमंत खुटे ने फिर पिथौरा नगर में नाइट चेस क्लब की स्थापना की है जहां पिथौरा अंचल के खिलाड़ी रोजाना क्लब आकर निशुल्क खेल सकते है वहीं शतरंज के नवोदित खिलाड़ी शाम 5 बजे से 6 बजे तक बिना किसी शुल्क के शतरंज की विधिवत प्रशिक्षण प्राप्त कर सकते है।
हेमंत ने आगे एक सवाल के जवाब में कहा कि अब तक उनके द्वारा 3500 से अधिक स्कूली बच्चों को शतरंज का प्रशिक्षण दिया जा चुका है।इन्होंने
चेस इन स्कूल्स के तहत विशेष पहल करते हुए जिला एवं प्रदेश के कई स्कूलों को शतरंज से जोड़ा है। हेमंत ने बताया कि एक वर्ष के भीतर महासमुंद जिला से 5000 विद्यालयीन बच्चों को शतरंज से जोड़ने का लक्ष्य है और उन्हें आशा है कि उनके द्वारा किए जा रहे यह छोटा सा प्रयास एक दिन मील का पत्थर साबित होगा ।

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